स्तंभन दोष की संभावना
आम तौर पर बढ़ती उम्र के साथ स्तंभन दोष की संभावना भी बढ़ जाती है। 64 वर्ष के आसपास की आयु वाले पुरुषों में से लगभग 20% इसका शिकार होते हैं। जन-समुदायों में जीवन-प्रत्याशा में बढ़त होने से वहाँ स्तंभन दोष से पीड़ित पुरुषों की संख्या में भी वृद्धि होती है। अत्यधिक मदिरा सेवन और धूम्रपान करने वाले पुरुषों में भी इसका खतरा काफ़ी बढ़ जाता है। धमनीकाठिन्य और उसके साथ होने वाली हृदय और रक्तसंचार-संबंधी समस्याएँ अक्सर स्तंभन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यदि आप स्तंभन दोष को सही समय पर रोकना चाहते हैं, तो आपको अपनी जीवनशैली पर नज़र डालनी होगी। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और तंबाकू व मदिरा का सेवन छोड़ने से कई अन्य बीमारियों के साथ-साथ स्तंभन दोष की संभावना कई गुना घट जाती है।
स्तंभन दोष? चलो डॉक्टर के पास!
डॉक्टर केवल तभी मानते हैं कि स्तंभन दोष मौजूद है जब 6 महीनों की अवधि के दौरान लगातार इरेक्शन पाने में मुश्किल आई हो या फिर वह इतनी देर भी ठहर न पाता हो कि संभोग की क्रिया पूरी हो पाए। यदि आपको संदेह है कि आप स्तंभन दोष से पीड़ित हैं, तो एक यूरोलोजिस्ट (मूत्रविज्ञानी) से सलाह करना उचित है। स्तंभन दोष अक्सर शारीरिक कारणों से या किसी बीमारी का लक्षण होता है, जिसकी जितनी जल्दी हो सके जाँच करवानी चाहिए ताकि किसी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम से बचा जा सके।
चिकित्सक-रोगी परामर्श के पहले चरण में यूरोलोजिस्ट यह स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं कि समस्या शारीरिक है या मनोवैज्ञानिक। रोगनिदान के आधार पर स्तंभन दोष के इलाज के लिए विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञों के सहयोग की आवश्यकता होती है। चूँकि स्तंभन प्रक्रिया अक्सर न केवल अनुकंपी तंत्रिका प्रणाली की प्रतिक्रिया दर्शाती है, बल्कि हमारा सेरेब्रल कॉर्टेक्स भी इसमें शामिल होता है, इसलिए कई प्रकार के मानसिक तनाव या भय स्तंभन की क्षमता पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। स्तंभन दोष के सबसे आम मनोवैज्ञानिक कारण हैं यौन असफलता का डर, मानसिक तनाव और डिप्रेशन। किंतु अधिकतर मामलों में स्तंभन संबंधी परेशानियों के पीछे शारीरिक कारण होते हैं, जैसे उच्च रक्तचाप, हार्मोन संबंधी विकार, धमनीकाठिन्य (आर्टेरियो स्क्लेरोसिस) या अन्य संवहनी रोग। अक्सर यह रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगने या मधुमेह रोग के एक लक्षण के रूप में भी सामने आता है।
मनोवैज्ञानिक और शारीरिक कारणों के जटिल पारस्परिक प्रभावों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। आपकी स्तंभन संबंधी परेशानियों के शारीरिक कारणों की पहचान होने पर भी एक मनोचिकित्सक की भी सलाह लेना लाभदायक हो सकता है। स्तंभन दोष की सहायक चिकित्सा के रूप में या फिर स्तंभन संबंधी ऐसी मामूली परेशानियाँ जोकि कोई चिकित्सीय बीमारी नहीं हैं, उनके इलाज में भी PHALLOSAN forte का नियमित उपयोग सहायक सिद्ध हो सकता है। PHALLOSAN forte अपने निर्वात खिंचाव से मुंड में रक्त के संचार को बढ़ाता है और सख्त इरेक्शन, लिंग में और अधिक संवेदनशीलता व कामेच्छा में वृद्धि भी ला सकता है। PHALLOSAN forte आपमें नया आत्मविश्वास भर देता है, क्योंकि यह विश्वसनीय रूप से आपके लिंग की लंबाई और आकार में वृद्धि लाने में आपकी सहायता करता है। यह पंप मधुमेह रोग या अधरांगघात (कमर से नीचे के भाग का लकवा) के कारण हुए स्तंभन दोष की सहायक चिकित्सा के रूप में या फिर उससे बचाव के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
मधुमेह (डायबिटीज मैलिटस) के कारण स्तंभन दोष
एक दीर्घकालीन चयापचय रोग होने के कारण मधुमेह रक्तसंचार-संबंधी समस्याओं को जन्म देता है और तंत्रिकाओं को हानि पहुँचाता है, क्योंकि अधिक रक्त शर्करा स्तर के कारण कोशिकाएँ और तंत्रिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे स्वायत्त न्यूरोपैथी हो सकती है। परिणाम: हाथ-पाँव व जननांग क्षेत्र की महत्वपूर्ण संरचनाओं की तंत्रिकाएँ और वाहिकाएँ ठीक तरह से काम नहीं करती। समय के साथ शिश्न लंबे समय तक तीव्रता के साथ स्तंभित नहीं रह पाता, और धीरे-धीरे एक समय ऐसा आता है जब इरेक्शन हो ही नहीं पाता।
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PHALLOSAN forte के सकारात्मक प्रभावों में से एक है लिंग के ऊतकों में रक्तसंचार की वृद्धि, जिससे मांसपेशियों और ऊतकों को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। चूँकि चयापचय रोग परिधीय तंत्रिकाओं और वाहिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं, इसलिए PHALLOSAN forte द्वारा आया सकारात्मक परिवर्तन कुछ ही दिनों में महसूस होने लगता है।
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